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‘यह तय हो कि 16 साल तक की आयु तक क्या करना और सोचना आना चाहिए; 10वीं तक की शिक्षा-परीक्षा अब ऐसी होनी चाहिए’

‘यह तय हो कि 16 साल तक की आयु तक क्या करना और सोचना आना चाहिए; 10वीं तक की शिक्षा-परीक्षा अब ऐसी होनी चाहिए’

This article was written by Dr Rukmini Banerji
The original article was published in Dainik Bhaskar

(https://dainik-b.in/f2PCeWEGukb)

छात्रों की हकीकत को ज़मीनी स्तर से देखकर और उनकी समस्याओं को नज़दीक से समझकर रणनीति बनाना बहुत ज़रूरी है। सभी को पता है कि पिछले साल से स्कूली शिक्षा के मामले में 2020 और 2021 असाधारण और असामान्य थे, पर हमने शिक्षा-परीक्षा के उसूल या प्रतिरूप को गहराई या गंभीरता से बदलने का प्रयास नहीं किया है।

अधिक जानने के लिए पढ़ें डॉ रुक्मिणी बनर्जी का यह कॉलम: यह तय हो कि 16 साल तक की आयु तक क्या करना और सोचना आना चाहिए; 10वीं तक की शिक्षा-परीक्षा अब ऐसी होनी चाहिए